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मिस्टर ब्लैक:—ए डार्क सुपरहीरो [4]











ब्लैक रिवर से निकलती आग की स्याह लपटों को देखकर शैडो के चेहरे पर एक शैतानी मुस्कुराहट आ गई। उसके चेहरे का अधिकांश भाग नकाब से ढका हुआ था। दिखाई दे रहे थे तो सिर्फ उसके मुस्कुराते हुए होठ।

शैडो सामने का दृश्य देख कुछ सोच रहा था कि तभी अचानक सामने का दृश्य बदलने लगा। अब तक ब्लैक रिवर के काले पानी से आग की काली लपटे निकल रही थी लेकिन तभी अचानक ही नदी के पानी का रंग बदलने लगा। पानी का रंग सबसे पहले गहरे नीले रंग का हुआ, उसके बाद आसमानी रंग का और देखते ही देखते पानी का रंग इतना हल्का हो गया था की सतह से उसकी चमकती हुई तलहटी स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगी थी। आस पास का स्थान नदी के जल से निकल रहे नीले प्रकाश से प्रकाशित हो उठा था।

शैडो नदी के किनारे आया और उसके अंदर झांकने लगा। जैसे ही उसकी नजर नदी की सतह पर पड़ी काली छड़ी पर पड़ी तो वह अपनी जीत पर मुस्कुराने लगा। नदी के ऊपर से ब्लैक का काला जादू हट चुका था और अब वह नदी के जल को स्पर्श कर सकता था।

शैडो नदी के अंदर जाने की योजना बना ही रहा था की तभी अचानक उसे जोर का धक्का लगा और वह उछलते हुए नदी से बहुत दूर जा गिरा। धक्का इतना जोरदार था की शैडो के होठ के किनारे से खून निकलने लगा था।

"तो तुम यहां तक पहुंच गए।"" शैडो को अपने पीछे से एक गंभीर धीमी किंतु स्पष्ट सुनाई देने वाली आवाज सुनाई दी।



शैडो तुरंत खड़ा हुआ और जैसे ही उसने आवाज की दिशा में पलटकर देखा तो वहां कोई नहीं था।

"कौन हो तुम?"" शैडो ने इधर उधर देखते हुए कहा क्योंकि उसे कहीं भी आवाज का स्त्रोत दिखाई नहीं दे रहा था।

"तो तुमने मुझे नही पहचाना!"" शैडो को एक बार फिर से वह आवाज सुनाई दी। उस आवाज में गंभीरता के साथ साथ आश्चर्य का पुट भी था।

"देखो तुम जो कोई भी हो....सामने आओ। ऐसे छिपकर क्यों वार कर रहे हो।"" शैडो ने चिल्लाते हुए कहा।

तभी उसे अपने पीछे से हवा का झोका गुजरता हुआ महसूस हुआ। वह जैसे ही पीछे पलटा तो उसे एक शख्स दिखाई दिया जोकि उससे पर्याप्त दूरी पर एक चट्टान पर बैठा हुआ था।

"मेरे जंगल में आकर तुम मुझसे पूछ रहे हो की मैं कौन हूं।"" चट्टान पर बैठे उस शख्स ने व्यंग से कहा।

"ओह! तो आखिरकार तुमसे मुलाकात हो ही गई ब्लैक।"" शैडो ने घृणा से कहा।

"तो ये है ब्लैक!।"" वीर शैडो के पास आते हुए बोला।

"हां, यही है वो ब्लैक जिसने हमे कई सदियों तक कैद कर रखा था। अब वक्त आ गया है बदला लेने का।"" शैडो ने मुठ्ठी भींचते हुए कहा। इसके बाद उसने अपने पिशाचों को ब्लैक को मारने का इशारा किया और इसके साथ ही हवा में उड़ते हुए सैंकड़ों पिशाचों ने एक साथ ब्लैक के ऊपर हमला कर दिया।



ब्लैक धीरे से मुस्कुराया। वह चट्टान से खड़ा हुआ और लड़ने के लिए तैयार हो गया। अब तक वह एक आम इंसान जैसा दिखाई दे रहा था लेकिन अब अचानक ही उसके शरीर से हरे रंग का ऊर्जा प्रवाह बहने लगा था। उसकी आंखों से हरी रोशनी निकल रही थी।

 जैसे ही वे पिशाच उसके नजदीक पहुंचे, उसकी आंखों से हरी आग की लपटे निकली और उसने अपने रास्ते में आने वाले तीन चार पिशाचों को एकसाथ जलाकर खाक कर दिया। इसके बाद उसने अपने हाथों को विशेष मुद्रा में हिलाया तो नदी के जल से अनेकों ऑक्टोपस के तंतुओं जैसी संरचना बाहर निकली और उन पिशाचों को अपने फंदों में जकड़ने लगी। वे पिशाच वहां बड़ी संख्या में मौजूद थे और चारो तरफ से ब्लैक पर आक्रमण कर रहे थे।

ब्लैक स्याह ऊर्जा के रूप में दूर्त गति से एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंच गया। इसी बीच उसके रास्ते में आने वाले पिशाचों के शरीर के कई टुकड़े हो गए और हवा से मांस के लोथड़े स्लो मोशन में गिरने लगे। ब्लैक का पूरा शरीर पिशाचों के खून से भीग गया था। उसने हवा में अपनी तरफ आते एक पिशाच को पकड़ा और अपने दोनो हाथो की सहायता से उसके शरीर के कई टुकड़े कर दिए। इस दिल दहला देने वाले दृश्य को देखकर किसी की भी रूह कांप सकती थी। इस समय ब्लैक साक्षात मौत का दूसरा रूप लग रहा था। ब्लैक ने बड़े खूंखार ढंग से शैडो की तरफ देखा और एक बार फिर से वह उन पिशाचों को बड़ी बेरहमी से मारने लगा।

अपने पिशाचों को बड़ी संख्या में नष्ट होता देख शैडो को गुस्सा आ गया लेकिन वह ये भी जानता था कि ब्लैक को हराना इतना आसान नहीं है। उसकी पिशाचों की फोज अब तक आधी रह गई थी। बाकी पिशाचों को बचाने के लिए उसने उन्हें पीछे हटने का संकेत दिया। संकेत मिलते ही वे सभी पिशाच उड़ते हुए स्याह आसमान में गायब हो गए। वीर अपनी सेना को ब्लैक पर हमला करने के लिए बोलने ही वाला था कि शैडो ने उसे अपने हाथ के इशारे से रोक दिया।



"लगता है तुम अपनी पिछली हार नहीं भूले शैडो और ये नमूना कौन है।"" ब्लैक ने वीर की तरफ इशारा करते हुए कहा।

"मैं वीर हूं। शायद तुम मुझे नही जानते हो लेकिन मेरी वेयर वुल्फ की फौज को हर कोई जानता है।"" वीर दांत पीसते हुए बोला।

"वीर.....वनराज की इकलौती संतान। क्यों! सही पहचाना।"" ब्लैक वीर को देखते हुए बोला।

"तुम मेरे पिता को कैसे जानते हो।"" वीर हैरान होते हुए बोला।

"तुम्हारे पिता मेरे अच्छे दोस्त थे लेकिन मुझे आश्चर्य है कि वनराज का बेटा डेविल की मदद क्यों कर रहा है।"" ब्लैक ने आश्चर्य से कहा।

"तुम भी एक शैतान ही हो मिस्टर ब्लैक।""  शैडो क्रोध से तमतमाते हुए बोला।

"मैं शुद्ध स्याह ऊर्जा से बना हूं और शैतान भी लेकिन इसका मतलब ये नही है की तुम मेरी तुलना शैतान से करो।"" ब्लैक ऊंची आवाज में बोला। उसकी आवाज में गुस्सा साफ झलक रहा था। ब्लैक ने अपना बायां हाथ जैसे ही थोड़ा ऊपर उठाया, ब्लैक रिवर से काली छड़ी बड़ी तेजी से बाहर निकली और सीधे ब्लैक के हाथ में पहुंच गई।



"तुम्हारे पास एक आखिर मौका है शैडो। या तो तुम डेविल का साथ छोड़ दो या फिर परिणाम के लिए तैयार रहो।"" ब्लैक ने खुद को शांत करते हुए कहा लेकिन उसकी आवाज में अभी भी गुस्सा झलक रहा था।

"परिणाम तो वक्त ही बताएगा।"" इतना कहकर शैडो वहां से हवा में गायब हो गया और उसके बाद वीर भी अपनी सेना के साथ हवा में गायब हो गया। अब वहां रुकना मौत को दावत देने जैसा ही था।













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वह एक निर्जन स्थान था जहां चारो तरफ मौत सा सन्नाटा पसरा हुआ था। आसपास रंग बिरंगी झाड़ियां उगी हुई थी जिनसे उन्ही रंगो का प्रकाश निकल रहा था। झाड़ियों से निकलता वह प्रकाश ही उस स्थान पर प्रकाश का एक प्रमुख स्त्रोत था। आसमान में तीन चांद जैसे दिखने वाले पिंड चमक रहे थे जिनसे नीले रंग का हल्का प्रकाश निकल रहा था। आसमान में एक और पिंड मौजूद था लेकिन वह बादलों के बीच छिपा हुआ था। उन अनजान ग्रहों से निकलने वाले प्रकाश के कारण सब कुछ नीला नजर आ रहा था।

शैडो और वीर उस स्थान पर दक्षिण दिशा की ओर लगातार बढ़ते ही जा रहे थे। उस स्थान की जमीन पर उनके कदम जहां जहां पड रहे थे वहां से रक्तिम लाल प्रकाश निकल रहा था।

 वे लोग काफी देर तक आगे बढ़ते रहे और तब तक नहीं रुके जब तक वे एक जलाश्य जैसी दिखने वाली संरचना के पास नही पहुंच गए जिसके आस पास चमकते हुए पत्थर पड़े हुए थे। जलाश्य के अंदर जल नही बल्कि सघन अंधेरा भरा हुआ था जोकि देखने से ही खौफनाक प्रतीत हो रहा था।

वीर और शैडो उस जलाश्य के नजदीक जाकर खड़े हो गए और शैतान का आह्वान करने लगे। उन लोगो के आह्वान करने के कुछ समय बाद उस जलाश्य से बड़ी तेजी से स्याह काली ऊर्जा बाहर निकलने लगी और हवा के बीचों बीच जाकर स्थिर हो गई। उस स्याह ऊर्जा के बीच से दो भयावह लाल सुर्ख आंखे दिखाई दे रही थी जोकि उन स्याहियो के बीच काफी चमक रही थी।

डेविल के सामने आते ही वीर और शैडो ने अपने दाएं हाथ को अपनी छाती पर बाईं तरफ रखा और धीरे से सिर झुकाते हुए शैतान अमर रहे के नारे लगाए।

"कहो..क्या संदेश लाए हो मेरे भक्तो।"" उस स्याह ऊर्जा से एक प्रभावशाली और सम्मोहित करने वाली आवाज सुनाई दी।

"मिस्टर ब्लैक सामने आ चुका है माय लॉर्ड।"" शैडो ने सिर झुकाते हुए कहा।

"उस पर नजर रखो और अपने बाकी साथियों को आजाद करो। कुछ भी करके हमे ब्लैक को सौरमंडल के सभी ग्रहों के एक पंक्ति में आने से पहले खत्म करना होगा। अगर एक बार उसकी शक्तियां जागृत हो गई तो उसे खत्म करना असंभव हो जायेगा।"" उस स्याह ऊर्जा से आने वाली आवाज ने कहा। इतना कहकर वह ऊर्जा एक बार फिर से उस जलाश्य में चली गई।

"ब्लैक की शक्तियां जागृत हो जायेंगी! इसका क्या मतलब हुआ।"" वीर ने हैरान होते हुए पूछा।

"ये बहुत पुरानी बात है। जब ब्लैक ने डेविल लॉर्ड को ब्लैक हॉल के केंद्र में कैद किया था तब ब्लैक की शक्तियां भी काफी हद तक नष्ट हो गई थी। इसके बाद वह पृथ्वी नामक ग्रह पर रहकर अपनी शक्तियों के वापस जागृत होने की प्रतीक्षा करने लगा लेकिन हमारे लॉर्ड अभी भी ब्लैक हॉल के केंद्र की कैद में है। इस समय ब्लैक एक मानव है इसलिए उसे हराया जा सकता है लेकिन अगर एक बार उसे उसकी शक्तियां वापस मिल गई तो उसकी डार्क आर्मी भी जागृत हो जायेगी" शैडो ने कहा।

"लेकिन उस वक्त आखिरकार हुआ क्या था जो डेविल उस ब्लैक से हार गए।"" वीर ने जिज्ञाशावश होकर पूछा।

"ये तुम्हे कुछ समय बाद पता चल जायेगा।"" शैडो ने धीरे से कहा। इसके बाद वे दोनो वहां से गायब हो गए।





[अतीत में प्रवेश]



इस समय वीर और शैडो ‘शैडो लैंड’ नामक एक रहस्यमय ग्रह पर खड़े हुए थे। चारो तरफ अंधेरा छाया हुआ था लेकिन अंधेरा इतना भी गहरा नही था की आंखों से कुछ दिखाई न दे। इससे पहले वे दोनो जिस प्लैनेट पर थे उसके चार चंद्रमा थे लेकिन शैडो लैंड का कोई चंद्रमा नही था जिस कारण वह हमेशा अंधेरे में डूबा रहता था। वहां दिन नही निकलता था लेकिन अंधेरे की मात्रा घटती बढ़ती रहती थी। कभी वहां स्याह अंधेरा होता था और कभी वहां अंधेरा नाम मात्र का होता था।

इस समय वहां शाम के समय जितना अंधेरा था। उस स्थान पर जगह जगह पर पत्थर के स्तंभ मौजूद थे। उन स्तंभों के ऊपर एक एक पारदर्शी प्याला रखा हुआ था और उन प्यालों में नीला चमकीला द्रव भरा हुआ था। ये स्तंभ शैडो लैंड पर हर जगह मौजूद थे।

वीर और शैडो उन स्तंभों के पास चले गए जोकि एक गोल घेरा बनाए हुए थे। उस गोले के भीतर जमीन में बने गढ्ढे में वही नीला द्रव भरा हुआ था जोकि स्तंभ के ऊपर मौजूद प्यालों में भरा हुआ था।

"ये सब क्या है शैडो।"" वीर ने वहां के नजारे को हैरानी से देखते हुए कहा।

"ये शैडो लैंड की वो जगह है जहां स्मृतियां कैद रहती है। इस जगह की मदद से हम किसी भी बीती हुई घटना को एक बार फिर से देख सकते है।"" शैडो ने कहा।

"लेकिन ऐसा कैसे हो सकता है।"" वीर ने एक बार फिर से पूछा। उसे अब भी ठीक से कुछ समझ नहीं आया था।

 "तुम इसे इस तरह से समझ सकते हो की संसार में जितने भी जीवित प्राणी है, शैडो लैंड में उन सबकी स्मृति मौजूद है। ये ग्रह उन स्मृतियों को अवशोषित कर लेता है।" शैडो ने वीर को समझाते हुए कहा।

"तो अब हम किसकी स्मृति में जाने वाले है?"" वीर ने शैडो से पूछा।

 "इस समय हम दोनो मेरी स्मृति में जाने वाले है। मैं उस समय घटी सभी घटनाओं का साक्षी हूं।"" शैडो ने कुछ सोचते हुए कहा।

"वो सब तो ठीक है लेकिन मैं तुम्हारे साथ क्यों जा रहा हूं।"" वीर के चेहरे पर आश्चर्य के भाव अभी भी बने हुए थे।

" क्योंकि ये सब कुछ तुमसे भी जुड़ा हुआ हुआ है।"" शैडो ने धीरे से मुस्कुराते हुए कहा।

"मैं कुछ समझा नहीं! वीर ने असमंजस की स्थिति में कहा।

"तुम्हे जल्द ही सबकुछ समझ में आ जायेगा।"" इतना कहकर शैडो ने अपने दोनो हाथों को हवा में फैला लिया और अपनी शक्तियों का आह्वान करने लगा। उसके ऐसा करने के बाद वहां मौजूद स्तंभों के ऊपर रखे प्यालों से द्रव की कुछ मात्रा उड़ते हुए जमीन में बने प्याले में समाने लगी। ऐसा होते ही प्याले में भरा नीला द्रव अचानक ही उबलने लगा और उसका रंग बदलकर कला पड़ने लगा।

इसके बाद शैडो और वीर प्याले के आमने सामने घुटनों के बल बैठ गए।

"अपना बायां हाथ सामने करो वीर।"" शैडो ने वीर से कहा।

वीर ने अपना बायां हाथ सामने की ओर किया। उसका हाथ उबलते हुए द्रव के ठीक ऊपर था। शैडो ने अपना बायां हाथ वीर के बाएं हाथ के ऊपर रखा। तभी उबलते हुए द्रव से एक चमकदार रस्सी जैसी संरचना बाहर निकली और उन दोनो के हाथो से लिपटने लगी। वीर ने शैडो के हाथ की कलाई पकड़ी हुई थी और शैडो ने भी वीर के हाथ की कलाई पकड़ी हुई थी।

तभी अचानक प्याले से स्याह धुआं निकलने लगा और उन दोनो के आस पास फैलने लगा। वह धुआं सिर्फ स्तंभों से बनी गोल परिधि के अंदर ही फैल रहा था। किसी अदृश्य बंधन के कारण धुआं परिधि के बाहर नहीं जा पा रहा था।

कुछ समय बाद जैसे ही धुआं अपने आप गायब हुआ तो आश्चर्यजनक रूप से वीर और शैडो अपने स्थान से गायब थे। वे दोनो उस समय चले गए थे जब पृथ्वी से लाखों प्रकाश वर्ष दूर एक नए अध्याय की शुरुआत हुई थी जिसका प्रभाव प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से पृथ्वी पर भी पड़ने वाला था।







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1 Comments

🤫

02-Dec-2021 02:38 PM

Behtreen.... Kafi बड़ा भाग था।

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